GUNAH...
Hello everyone!!!
By Sakshi Kaushik
Today's blog is based on a very prevailing social issue, that is right there in front of all of us but the irony is that we are unable to recognise it!
"According to a report by child rights NGO CRY, sexual offence is committed against a child in every 15 minutes!"
गुनाह
लड़की थी वो एक अकेली,चल ही तो रही थी वो,
गुनाह बस इतना था उसका,
की वो चल रही थी बिना रखवाली।
गुनाह बस इतना था उसका,
की वो चल रही थी बिना रखवाली।
क्यों ना सोचा किसीने कभी,
क्यों आंख बंध कर रहे थे सभी,
उससे क्या पता था, की अगले 10मिनट,
उसकी ज़िंदगी बदलने ही वाले थे अभी।
क्यों आंख बंध कर रहे थे सभी,
उससे क्या पता था, की अगले 10मिनट,
उसकी ज़िंदगी बदलने ही वाले थे अभी।
उन चार लोगों ने कुछ रास्ता इस कद्र रोका,
ना छोड़ा उस लड़की के पास एक भी मौका।
वो रोई, वो चिल्लाई,
पर किसी ने भी उन लड़कों को न टोका।
ना छोड़ा उस लड़की के पास एक भी मौका।
वो रोई, वो चिल्लाई,
पर किसी ने भी उन लड़कों को न टोका।
उनके लिए था वो वक़्त एक मज़ा,
पर उस लड़की की पूरी ज़िंदगी बन के रह गयी,तो सिर्फ एक सज़ा!
पर उस लड़की की पूरी ज़िंदगी बन के रह गयी,तो सिर्फ एक सज़ा!
न सोचा उन्होंने अपने कदमो के बारे में,
न सोचा उन्होंने अपने संस्कारो के बारे में,
किया जो करना था,
फिक्र न की, कि उस लड़की की भी होगी कोई माँ।
न सोचा उन्होंने अपने संस्कारो के बारे में,
किया जो करना था,
फिक्र न की, कि उस लड़की की भी होगी कोई माँ।
साँसे तो छोड़ दी उसके पास,
पर क्या फायदा?
अब वो रह गई तो सिर्फ एक ज़िंदा लाश।
पर क्या फायदा?
अब वो रह गई तो सिर्फ एक ज़िंदा लाश।
फेंक दिया उससे किसी अंजान मोड़ पे,
बढ़ गए आगे एक बाप का दिल तोड़ के।
बढ़ गए आगे एक बाप का दिल तोड़ के।
आखिर मिला ही क्या उन्हें ये करके,
कुछ हासिल, तो नही हुआ होगा ना?
बस मिली होंगी तो ढेर सारी बददुआ।।।
कुछ हासिल, तो नही हुआ होगा ना?
बस मिली होंगी तो ढेर सारी बददुआ।।।
By Sakshi Kaushik
As we are evolving in technology, we are getting more and more immersed in Web series, Netflix, Instagram, Facebook or Whatsapp which leads to a break from reality.
These social media apps and stuffs help us in building up a fantasy world around ourselves and we start dreaming the impossible and the rubbish things. When reality thrashes upon us and we realise that the reality is no where near our fantasy world, then we try to make it real. In that process we tend to commit crimes which are heinous in nature.
I believe that we all should take a step forward to stop the ever-increasing crimes that are occurring in our country and world-wide.
Our country has developed in art, culture, literature, science and even artificial intelligence. Now its time to develop a more humanitarian and empathetic society!
I request all of you to share it with as many people as you can. Take your step to spread awareness and to awaken the conscience of our fellow citizens.
Please do share your views and thoughts on this topic and blog in the comment section below!
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ReplyDeleteThank you 😀
DeleteGreat......touched my heart....
ReplyDeleteThank you 😀
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